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कोई क्या जाने


कोई क्या जाने

बात दिल की ,मेर दिल की
कोई क्या जाने

पहली बरसात बूंदें वो अहसास
कोई क्या जाने

मिटटी की सोंधी खुशबू वो प्यास
कोई क्या जाने

कलियों मंडराते भौंरों की चाह
कोई क्या जाने

अब बंद चार दिवारी कश्मकश
कोई क्या जाने

गावों शहरो आते कदमो की घबराहट
कोई क्या जाने

इतने मशगूल हैं उन के आने की आहट
कोई क्या जाने

उन छुटते पैरों के निशां दर्द
कोई क्या जाने

बात दिल की ,मेर दिल की
कोई क्या जाने

पहली बरसात की बूंदें वो अहसास
कोई क्या जाने

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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