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दर्द मेरे पहाड़ का


दर्द मेरे पहाड़ का

खाव्ब टूटे पड़े हैं
आप रूठे खड़े हैं

दुनिया मेरी लूटी गयी है
मिट्टी मेरी खोदी गयी है

कौन आ के रोक देगा
हल्का सा जो टोक देगा

आंख के अन्धे लगे हैं
मुहं के गूंगे खड़े हैं

कान के परदे फटे हैं
सुरंग से गोल छेद गये हैं

सतह से मैं कट गया हूँ
धमकों से उड़ रहा हूँ

गुमसुम खाली हो रहा हूँ
बस इंतजार कर रहा हूँ

कौन आ रहा है
बस सभी जा रहे हैं

खाव्ब टूटे पड़े हैं
आप रूठे खड़े हैं

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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