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मेरे गुरु


मेरे गुरु

गुरु की याद दिलाने
इस सुबह ने पूरब में लाली बिखेरी
नमन मेरा हो गुरदेव चरण में
आपकी शिक्षा मुझे हरी घर ले आयी

मर मर बोल कर शब्द ये राम बना
गुरु आपके कारण वाल्मीकि इंसान बना
काट अंगूठा मैं एकलव्य बन जाऊंगा
दोणचार्य जैसा गुरु अगर मैं पाऊंगा

चरणों की धूल तुम्हरी अपने मस्तक लहरों
मात पिता गुरु तुम्हे जब जग संग पाऊं
बलिहारी हो गुरु मेरे इच्छा मेरी पूर्ण करो
आपके मार्गदर्शन बिना कैसे जग से तर जाऊंगा

शाम को सुनहरी शीतल किरण मेरे गुरु
दोपहर के चिलमिलते धुप की छंव हो गुरु
मेरे सुख दुःख गरीबी अमीरी राह हो तुम गुरु
मैं शिष्य तुम्हारा नमन मेरा स्वीकार करो

एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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