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शाएरी शाएरी अब तुम्हारी शाएरी,

शाएरी शाएरी अब तुम्हारी शाएरी,

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चल उस सीढी में चढ़े जा उस सूरज से मिलें
जो आता है सुबह गुम हो जाता है काली रात में
पूछना है मिलके उसे दिख जाती है क्या मेरी माँ राह में
दिख अगर जाये जा के चंदा को बताना माँ भूल गयी है
सूरज चांदा तेरी लोरी गाकर मुझे अब सुनाना सुलाना

ध्यानी
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फेसबुक की दीवारों में देखे देवों के चित्र टंगे
चलो इसी तरह अपने पापों को धोया जाये
हर दिन प्रकट हो जाते हैं उन के दिनों साथ
मंदिर तो यंही चलो अब काबा भी हो जाये

ध्यानी

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लाज इतनी संभली अब ना संभली जाये
माँ तेरी चड़िया कैसे अकेले दाना चुगने जाये
सियार खड़े हैं घर घर लाल टपकाये माँ
गैरों से बच भी जाये अपनों से कौन बचाये

ध्यानी
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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