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हे मातृभूमि




हे मातृभूमि

दो बोल थे मेरे
ये तेरे लिये ये तेरे लिये
हे मातृभूमि निकले थे मुख से
बस तेरे लिये ये तेरे लिये
दो बोल थे मेरे
ये तेरे लिये ये तेरे लिये

खून की बूंदों ने कहा था ये
सांसों की धड़कन ने सूना था ये
मन मेरे बोला तन ये डोला
आया है शांती साथ लेके ये सूरज का गोला
ये तेरे लिये ये तेरे लिये

कदम में बढ़ाऊं तुझको ही पाऊं
आँखों को खोलों तुझको ही सजाऊं
सपना मेरा तुझसे ही जुड़ा
अपना मेरा तू ही तो खड़ा आया हूँ मैं
ये तेरे लिये ये तेरे लिये

मर मिट जाऊं मैं ये तेरे लिये
रहे तो सलामत ये मेरे अपनों के लिये
गुलशन फूल खिलंगे ये तेरे लिये
मेरे सरों के फूल चढ़ेंगे ये तेरे लिये
ये तेरे लिये ये तेरे लिये

तू माँ मेरी मैं बालक तेरा
थलसेना का सैनिक थल से जुड़ा
जुदा ना होना गर मै हो गया खुदा
फिर मेरी माँ की गोदी में फिर से मुझको खिला
ये तेरे लिये ये तेरे लिये

दो बोल थे मेरे
ये तेरे लिये ये तेरे लिये
हे मातृभूमि निकले थे मुख से
बस तेरे लिये ये तेरे लिये
दो बोल थे मेरे
ये तेरे लिये ये तेरे लिये

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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