ADD

हे मानव


हे मानव

आज मौसम ने कहा ,तू भी गुनगुना ले जरा
भाव अपने मन का ,तू भी बतला दे जरा  
आज मौसम ने कहा

मै तो लिख चुका हूँ ,तू भी लिख ले जरा
मेरे सुर में अपना सुर मिलाले जरा
लेकिन तू अब अलग राग अपना अलापने लगा
आज मौसम ने कहा

ठंडी हवा का जोर अब बहने दे जरा
शीत ऋतू के आगमन पर मुझे चहकने दे जरा
ऐसी क्या नाराजगी हुयी तू उष्णा है क्यों  अब तक
मै क्या कहूँ हे मानव ये सब तेरा किया धरा
आज मौसम ने कहा

आज मौसम ने कहा ,तू भी गुनगुना ले जरा
भाव अपने मन का ,तू भी बतला दे जरा  
आज मौसम ने कहा

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ