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बैठी तू उदास




बैठी तू उदास

बिमला आच किले होली बैठी तू उदास
झण् क्य व्हाई बात बिमला किले छे तू उदास
सरगा मा टक टकि लगे कया खोज्णी नि च आच
बिमला आच किले होली बैठी तू उदास

बोलि दे ना गम-सुम रै जिकोड़ी की भेद उमली दे
कया झुराणु ते थे कु रुळुनु ते थे आपरी ये गिच से बोलि दे
ना रूस तू ना झुरु तू ना अपरू से ना व्है इनि दूर तू
इनि कडक्स ना कैर बिमला ना इनि बैठ दूर तू
बिमला आच किले होली बैठी तू उदास

कंठ मेरु तिसी गेलो पिला दे छुईं की मीठी धार
गिचे नि गिची मेरी किले होली बैठी च आच तू शांत
ना साते ना खिजे चुचि कनि पट ना मि मोरी जोंलों आच
दे दे मेरा स्वासों थे तू सांस बिमला ना इनि बैठ दूर तू
बिमला आच किले होली बैठी तू उदास

बिमला आच किले होली बैठी तू उदास
झण् क्य व्हाई बात बिमला किले छे तू उदास
सरगा मा टक टकि लगे कया खोज्णी नि च आच
बिमला आच किले होली बैठी तू उदास

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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