कब आलू बसंत मेरु
कब आलू बसंत मेरु
कब बोई ये मेरु पाड हसला
दानी गलोड़ी का बाटा
वो हर्याळु बणीकी बौगला
कब आलू बसंत मेरु
यूँ डंडो कब काफल पाकला
ऊं कंठो जैकी कब किन्गोड़ा चाखला
नारंगी जनि मुखडी बौऊ की किले उदास हुँयीच
हिंसोला जनि कब खिद खिद हैसेली
मेरा भागा की क्यारी तू झूले रे तू फुले रे
ये विपदा पीड़ा की पाड़ी तू झूले रे तू फुले रे
गीत पिरीती समासूम हुंयां छन
ढोल दामू वो कुल्हण रुश्याँ छन
बांसुरी की धुन किले रूनी च आच
बेटी बिमला की आंखीं कैकी खुद हेरणी आच
कब आलू बसंत मेरु
कब बोई ये मेरु पाड हसला
दानी गलोड़ी का बाटा
वो हर्याळु बणीकी बौगला
कब आलू बसंत मेरु
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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