मी अज्ञान की तू अज्ञान
कैल नी जाणि
कैल नि समझे
कैल ये थे ना उकरी
ना ही गणे ना चिते सके
कैल नी जाणि
कैल नि समझे
ये पाड़ा की बोगादि पाणि
ये पाड़ा की भगदि जवानी
ना पढ़ी मि
ना आखर ज्ञान
मेरु सब यख
मिल क्ख्क जाणा
ये परम पिता ये मेरु पाड़ा
म्यारा पितृ तू ही मेरु भगवान
कन अजाणा
क्ख्क तेरु पछाणा
टक्कों दगडी बसी
बल तेरु सारू ध्यान
मी अज्ञान की तू अज्ञान
सोचले रे बंधू धेरी की ध्यान
कैल नी जाणि
कैल नि समझे
कैल ये थे ना उकरी
ना ही गणे ना चिते सके
कैल नी जाणि
कैल नि समझे
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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