मै ना भूलूंगा
मै ना भूलूंगा
ना तुम को भूलने दूंगा
वो रात है वो ही रात की बात
वही बात मै दोहराता रहूंगा
मै ना भूलूंगा
ना तुम को भूलने दूंगा
आयी फिर वही रात है
२ अक्टूबर १९९४ की बात है
ना मिला इंसाफ पहाड़ को
मुजफ्फरनगर कांड बरसी को
मै ना भूलूंगा
ना तुम को भूलने दूंगा
जलती रहे मशाल
इस दिल बदन के जान में
इस चिंगारी को ना बुझने दूंगा
अपना हक उन से लेके रहूंगा
मै ना भूलूंगा
ना तुम को भूलने दूंगा
आज वो काला दिन है
वो अन्धेरा अब भी मेरे प्रतिबिम्ब है
इन्साफ तराजू ना झुकने दूंगा
हे उत्तराखंड तेरे लिये लड़ता रहूंगा
मै ना भूलूंगा
ना तुम को भूलने दूंगा
वो अब भी आते सपने मेरे
वो अब भी मुझ से सवाल करते हैं
उनका वो हाल अब भी तड़पता है मुझको
खून के आँसूं वो मुझको रूला जाता है
मै ना भूलूंगा
ना तुम को भूलने दूंगा
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ