चल दोइयाँ लौटी जूंला
दोई चंपत खिंची की ग्लोडी लगौदे रे दीदा
घोर जाना कु रस्तौ मीथै बथौदे रे दीदा
कन मत मौरी मेरी कन छोड़ी ऊं मि
ये उंदरु का बाटों मा कन दौड़ी ऊं मि....२
मेरु कान मरोड़ी दे रे दीदा घोर बौडी देदे
गढ़वाल जाणा कु रस्तौ मीथै बथौदे रे दीदा
यूँ नि ऊ स्थान जख मी जन्मी छों मी
कैल करण वख उधार जख कु ऋणी छों मी
ऐगै ईं दोई अन्ख्युं मा आंसूं पूछ दे रे दीदा
अपरी जलमभूमि मा चल दोइयाँ लौटी जूंला
दोई चंपत खिंची की ग्लोडी लगौदे रे दीदा
घोर जाना कु रस्तौ मीथै बथौदे रे दीदा
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ