बस और क्या है मेरे खुदा
बस और क्या है मेरे खुदा
एक है तू लेकिन यंहा टुकड़ों में मिला
पत्थर कंही तू कंही है मजार
मोम जला कंही कंही चढ़ा फूलों का हार
दो आँखें देखे तुझे तू दिखे एक सदा
मानने अगर जाऊं तो तू हो जाता है जुदा
कैसा ये रंग है हम पर चढ़ा
बिखरा पड़ा हुआ है सारा रंगमंच तेरा
बाँटा नहीं तेरा तूने कुछ भी यंहा
तेरा खुद का बनाया ही तुझे बांटता चला
सब कुछ तूने बनाया है ये सारा जंहा
बस इंसान बनकर तू भी अब पछतात होगा
बस और क्या है मेरे खुदा
एक है तू लेकिन यंहा टुकड़ों में मिला
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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