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दो पल ही पास मेरे


दो पल ही पास मेरे

दो पल ही पास मेरे
आज और कल....................... २
जाती हुयी सांसे मेरी
फिर एक बार मेरे साथ चल
छूटा तेरा कुछ पीछे
तू चला किधर
दो पल ही पास मेरे
आज और कल....................... २

समय ही नही पास मेरे
सागरों की लहरें ना यूँ तू मचल
साहिल बुलाये अब पास मुझे
जब डूब रहा है मेरा सफर
दो पल ही पास मेरे
आज और कल....................... २

रह गयी बस अब बची तमन्ना
दबी थी सीने में ना और तू धड़क
माटी के ढेर में सोया बीज पड़ा
क्यों अंकुरित होने को उसे अब भी ललक
दो पल ही पास मेरे
आज और कल....................... २

मंजिल थी कंहा मेरी
और मेर कदम बहके थे किस ओर
टूटा फूटा पड़ा है कर्म मेरा
अब ना जोड़ सकेगा कोई गोंद
दो पल ही पास मेरे
आज और कल....................... २

एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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