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मेरे पास इतना ही था


मेरे पास इतना ही था

मेरे पास इतना ही था
बस जितना ये नीला अंबर है
धरती सुनहरी मौसम रंगीला और
सुनहरी किरणों का बस जितना संग है
मेरे पास इतना ही था
बस जितना ये नीला अंबर है ……

खुली बाहों में भर लों इसे जरा
ये पहाड़ है जो मेरा उत्तराखंड है
सोच इसे किसने बनाया होगा
किसकी कल्पना ने भरा ये रंग है
कितने रंगों में ये रंगा है
बस जितना ये नीला अंबर है ……

आ जाओ इसके आँचल में जरा
इसकी ममता का देखो कितना बड़ा मन है
अचल है वो कितने चल विचल से गत
फिर भी शांत है वो अपने अस्त से मस्त है
झूम रे चूम रे ये तो मेरा स्वर्ग है
बस जितना ये नीला अंबर है …….

हम बच्चे हैं इसकी संतान
ये मेरा नदी,पेड़ आकाश उड़ते पक्षियों का झुंड है
यही मेरा घर ये मेरी आन बान शान
मै पहाड़ी हूँ और ये मेरी पहचान
नत मत्सक हूँ मै आके तू भी देख ले मेरा जंहा
बस जितना ये नीला अंबर है ………

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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