ADD

आज पी भी ना थी फिर भी लड़खड़ा मैं गया



आज पी भी ना थी फिर भी लड़खड़ा मैं गया

आज पी भी ना थी फिर भी लड़खड़ा मैं गया
उस हसीन ने मुझे आज जब जमकर पिलाया

आँखों का वो नशा था छाया इस तरहं मन पर
उस हसीन ने मुझे जब अपने दिल से लगाया

प्रेम और मदिरा में जब भी हुयी कभी जंग है
हार ने शराब से जीत ने यार संग साथ निभाया

आज छूटा मैख़ाना मेरा टूटा अब पैमाना मेरा
बिखरे -बिखरे खयालात जब उसने संभले मेरे

आज पी भी ना थी फिर भी लड़खड़ा मैं गया
उस हसीन ने मुझे आज जब जमकर पिलाया


एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ