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कुछ ऐसा है


कुछ ऐसा है

एक धागा एक मोती 
वो बत्ती वो उसकी ज्योति
कुछ ऐसा है
रिश्ता तेरा मेरा वो सरिता
कुछ ऐसा है

जब से मिली है तू
साँसे चली है मेरी
सुबह शाम है तू ही
वो रात भी हो तुम
बिन तेरे कंही काम नही
मेरा आराम भी हो तुम
कुछ ऐसा है
रिश्ता तेरा मेरा वो सरिता
कुछ ऐसा है

बातें में बातें तेरी
मेरे सांसों में साँसे तेरी
कहाँ कहाँ लिखा तेरा नाम
मेरे नाम के साथ तू ही
आँखें बंद हो या हो खुली
यूँ ही हरपल तू रहे मुझ से जुड़ी
कुछ ऐसा है
रिश्ता तेरा मेरा वो सरिता
कुछ ऐसा है

मैं पहाड़ा हूँ कब से खड़ा
तू है मेरी बलखाती नदी
यूँ ही बह कर संग मेरे तू
वो री अल्हड़ मेरी संगनी
सात जन्मों का साथ तेरे मेरे
हर जन्म में और सात बड़ा
कुछ ऐसा है
रिश्ता तेरा मेरा वो सरिता
कुछ ऐसा है

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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