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क्या अब भी ये उत्तराखंड तेरा है या मेरा है ?


क्या अब भी ये उत्तराखंड तेरा है या मेरा है ?

१४ बरस बीते श्री राम भी घर को आ जाते हैं
कब आयेगी वो अमावस्या जब दिये वो घर घर जलते हैं
पूछ रहा हूँ अपनों से ही अपनों को ही मै बोल रहा
आंसूं बैठे दूर बहा ने से चल अपने घर फिर तू लौट आजा

उन शहीदों से जा पूछो जिसने खायी सीने पर गोली
ले नारा उत्तरखंड का जिनकी शहादत अब तक ना सोयी
उनके घरों में एक बार जरा जा कर तो देखो क्या हुआ
उनकी तस्वीर गीली है क्यों अब तक है वो माँ रो रही

क्या अब भी ये उत्तराखंड तेरा है या मेरा है ?
मैदान और पहाड़ों के बीच कैसी है मची तनातनी
एक बार जब मिले और लड़े थे एक लक्ष्य लेकर
फिर भी वो उदेश्य हमारा अब तक क्यों अधूरा है

अगर अब ना जागेगा तू सोया ये पहाड़ रह जायेगा
राजनीति के बीच भंवर तेरे प्यार फंसा सा रह जायेगा
देख फिर अपने भविष्य हाथों क्या सपने तू छोड़ जायेगा
भगोड़ा बंजारा रिक्त तेरा पहाड़ उत्तराखंड रह जायेगा

१४ बरस बीते श्री राम भी घर को आ जाते हैं
कब आयेगी वो अमावस्या जब दिये वो घर घर जलते हैं
पूछ रहा हूँ अपनों से ही अपनों को ही मै बोल रहा
आंसूं बैठे दूर बहा ने से चल अपने घर फिर तू लौट आजा

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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