तेरे प्यार में
बस अब महसूस करता हूँ
और मै उसे लिखता जाता हूँ
अपने दर्द को अपने अल्फाजों
संग बस ढलता जाता हूँ
तेरे प्यार में .....२
उसे बोल नही पता था मै
अपने होंठ खोल नहीं पता था मै
रखकर उसकी तस्वीर सीने पर
अब भी ठीक से सो नही पता हूँ मै
तेरे प्यार में .....२
मज़बूरी खड़ी थी पास मेरे
अब भी रहती वो साथ साथ मेरे
उन को ना ये हाले हाल दिखा पाया
ना उन से मै मेरा प्यार जता पाया
तेरे प्यार में .....२
मंजिल खड़ी दो राहें जुदा
राह मोड़ी और तुम मोड़ गये कहां
ना फैसला मेरा अब तक हो सका
वो मोड़ ,वक्त और मै अब भी वहीं खड़ा है
तेरे प्यार में .....२
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ