ADD

अब भी



अब भी
अब भी राह देखती है
अब भी आस लगा बैठी है
अब भी उसे पूरी आशा है
अब भी उसे बुलाती है
अब भी वो सुनेगा उसे लगता है
मगर उम्र अब यूँ ही गुजर जाती
अब भी माँ है की मोह नही छोड़ती
अब भी बुला रही आ जा मेरे बेटे अपने पहाड़ वापस .......

बालकृष्ण डी. ध्यानी
बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ