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ये काया


ये काया

बस अपरू मा समै
ये काया बल तिल क़्या कमै
तिल क़्या कमै
बल सब कुच गमै

जब नि रै तू अपरी ही
क्या कैर तिल ऊपरि ऊपरि ये काया
क्या कैर तिल ऊपरि ऊपरि
रंग रुपण हर्ची रुपया गै सब खरची ये काया
तिल क्या कमै
बल सब कुच गमै

धुंधि मा छे तू
अपरी ही गरमी मा छे
कैल इन क्या पिलै तैथे
तू इन कण टुंडी मा छे ये काया
तिल क्या कमै
बल सब कुच गमै

बालपन इनि सुधि गैई
ज्वानि बर्बाद व्है क्ख्क हर्ची गैई
बूढपु ऐई फिर बी ते काया पर
अबी तक अकल दाड़ नि ऐई ये काया
तिल क्या कमै
बल सब कुच गमै

बस अपरू मा समै
ये काया बल तिल क़्या कमै
तिल क्या कमै
बल सब कुच गमै

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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