बात दिल की करूँ या मैं अब चुप रह हूँ
बात दिल की करूँ या अब मैं चुप रह हूँ
बहते आँसूं आँखों से ना पूछूँ उसे मै बहने दूँ
बात दिल की करूँ या मैं अब चुप रह हूँ
संगदिल ज़माना क्या उससे उम्मीद करूँ
किसे जाके सुनाऊँ मेरा फ़साना किस से मै बात करूँ
बात दिल की करूँ या मैं अब चुप रह हूँ
अपने से लगा हूँ मैं अपने से ही प्यार करूँ
जहाँ भी जाऊं धोखा है अब मै किस पे ऐतबार करूँ
बात दिल की करूँ या मैं अब चुप रह हूँ
दर्द का समंदर है वो किनार भी अब कहने लगा
कश्ती फांसी बीच मझधार में मेरी किस को आवाज दूँ
बात दिल की करूँ या मैं अब चुप रह हूँ
साँस भी अब बोझल हुयी है अब आने जाने से
दो दिन की अब तो ये मेहमान है वो इस गरीब खाने से
बात दिल की करूँ या मैं अब चुप रह हूँ
बात दिल की करूँ या अब मैं चुप रह हूँ
बहते आँसूं आँखों से ना पूछूँ उसे मै बहने दूँ
बात दिल की करूँ या मैं अब चुप रह हूँ
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ