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एक ऐसा ध्यानी था




एक ऐसा ध्यानी था

एक ऐसा ध्यानी था
जिसे अब सब भूल गये
जीता था सब के लिये वो
सब के लिये मरता था
एक ऐसा ध्यानी था
जिसे अब सब भूल गये

नाम था उन का
स्वर्गीय कर्त्ताराम ध्यानी
जन्मा हुआ था पहाड़ों पर
ग्राम बोरगांव ,गुरडस्यूं
पो. संगला कोटि
जनपद पौड़ी गढ़वाल का
पिता स्वतंत्र संग्राम सेनानी
आदित्य राम ध्यानी जी के पुत्र
एक ऐसा ध्यानी था
जिसे अब सब भूल गये

मुंबई विश्व विधालय के
१९७२ से १९७४ के वो
एम. ए. एम. एड गोल्ड मेडलिस्ट थे
माता जी नाम श्रीमती चोपडादेवी ध्यानी
उत्तरखंड एज्युकेशन सोसायटी के
भारतीय विधालय और न्यू मोर्डेन इंग्लिश
के संस्थापक प्रबंधक न्यासी थे
एक ऐसा ध्यानी था
जिसे अब सब भूल गये

उत्तराखंड शोध संस्थान के
संरक्षक थे वे तब मुंबई इकाई के
अध्यक्ष पद पे वो कार्यरत थे तब
उत्तरांचल चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स के
लेखन उत्तराखंड रैबार ट्रस्ट स्थापना की
नूतन उत्तराखंड रैबार पाक्षिक पत्र की
आंदोलन के समय नियमित प्रकाशित रही
एक ऐसा ध्यानी था
जिसे अब सब भूल गये

किताबें भी लिखी उन्होंने अपने उत्तराखंड पर
प्रवासी रहकर भी वो सदा अपने पहाड़ का रहा
अपने मातृ प्रेम का वो सदा सच्चा उपासक
दूर रहकर पहाड़ी दिल पहाड़ के लिये धड़कता रहा
मुंबई में रहकर भी अपनों के लिये वो दौड़ता रहा
आओ आज याद करें उन के पुण्यतिथि पर
जन्में थे वो २६ जनवरी १९३६ में
एक ऐसा ध्यानी था
जिसे अब सब भूल गये

बालकृष्ण डी. ध्यानी

चाचा जी आप को हम हमेशा याद करेंगे
बालकृष्ण डी ध्यानी
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