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अभी मैं हारा नहीं



अभी मैं हारा नहीं

अभी मैं हारा नहीं
पास मेरे बचे हैं मेरे सपने
देखना एक दिन तुम से
मेरे ये आँसूं बोलेंगे
अभी मैं हारा नहीं ……

अभी सब ने मुझे
नाकार समझ लिया है
दो घूँट दर्द का देखो
मैंने चुपके पी लिया है
अभी मैं हारा नहीं ……

ना देखा किसी ने मुझे
मैंने खुद को ही अब देख लिया है
जीतना वो लक्ष्य मेरा
ये प्रण मेरे दिल ने ले लिया है
अभी मैं हारा नहीं ……

कर्म है तू मेरा है
अब धर्म है तू मेरा है
जीना है तुझे बस पाने के लिये
सपने मेरे तुझ में खो जाने के लिये
अभी मैं हारा नहीं ……

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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