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मेरी आवाज


मेरी आवाज

मेरी आवाज
आज मेरी परवाज बन जा
ले अक्षरों का सहरा
मेरे क़दमों के निशाँ बन जा
बस कहना इतना
किसी भूले पथिक का
मैं वो रास्ता बन जाऊं
बस दिल मेरा तू इतना चाहे
अपने पहड़ों पर
अपनों के कदम मोड़ सकूँ
मेरी आवाज
आज मेरी परवाज बन जा
ले अक्षरों का सहरा
मेरे क़दमों के निशाँ बन जा


बालकृष्ण डी ध्यानी
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