ADD

वो बुलाता है मुझे



वो बुलाता है मुझे

वो रुलाता है मुझे
वो अक्सर बुलाता है मुझे
वो गलियां गाँव की गलियां
वो छईयां पीपल की छईयां
वो रुलाता है मुझे
वो बुलाता है मुझे

बैठा होगा वो किसी के इन्तजार में
अपने से ही उलझे हुये वो ख्याल में
असहनीय उस के प्यार में
आने जाने वाली उस राह में
वो याद दिलाता है मुझे
वो बुलाता है मुझे

बातों बातों में वो बात खोजता होगा
अपने पलंग के सिरहाने वो टटोलता होगा
ना मिलते ही वो बड़बड़ता होगा
अपने से सपक सा वो जाता होगा
वो सिरहा जाता है मुझे
वो बुलाता है मुझे

गिरते पड़ते उसने अपने को संभला होगा
किस तरह ही उसने अपने को आईने में संवारा होगा
कुछ समय उसका इस तरह बीत जाता होगा
उस बीते समय में मैं ही उसे याद आता होगा
वो गुजरे समय से मिलाता है मुझे
वो बुलाता है मुझे

एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ