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अपने सपने बुनो


अपने सपने बुनो

कुछ अपनी सुनो
कुछ उनकी की सुनो
इसी सुन ने में तुम अपने सपने बुनो
सपने बुनो
कुछ अपनी सुनो
कुछ उनकी की सुनो

फूलों और काँटों में
अपने लिये कांटें ही चुनों
फूलों को तुम
अपनों के लिए बीनो
ऐसी जिंदगी जियो,सपने बुनो
सपने बुनो
कुछ अपनी सुनो
कुछ उनकी की सुनो

पल पल तुम्हारा
सरल जीना हो ऐसा
कल कल जैसे सदा
बहती वो नदिया
समंदर सांस का गहरा रिश्ता बनो,सपने बुनो
सपने बुनो
कुछ अपनी सुनो

कुछ उनकी की सुनो

बेरंग हो तुम ,किसी का रंग बनो
जीवन अकेले ,तुम संग बनो
ले गम आसूं ,किसी की मुस्कान बनो
अपनी नहीं दूसरों की पहचान बनो
रिश्तों की तुम जान बनो ,सपने बुनो
सपने बुनो
कुछ अपनी सुनो
कुछ उनकी की सुनो

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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