ये डाली महकती रहे
सजती रहे
ये डाली महकती रहे
काँटों पर ये गुल सी खिलती रहे
औरत है ये
और ये मेरी दुआ है
आगे यूँ ही तू बढ़ती रहे
सजती रहे
ये डाली महकती रहे
देखो मगर
तेरी नजर ना हो वैसी
टूट जाये
असर ना हो ऐसी
खिलने दो गुनगुनाने दो
साथ अपने मुस्कुराने दो
औरत है ये
और ये मेरी दुआ है
आगे यूँ ही तू बढ़ती रहे
झुके शीश
ना तेरे कर्मों से उसके
कदमों को बढ़ने दे
मिलने दे उसकी मंजिल से
देख ना रोड़ा बन
औरत है ये
और ये मेरी दुआ है
आगे यूँ ही तू बढ़ती रहे
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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