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जिंदगी अब गजल बन गयी


जिंदगी अब गजल बन गयी

जिंदगी अब गजल बन गयी
चलो गुनगुना लें उसे फिर आज

खाव्बों की वो तामीर बन गयी
चलो आँखों में उतरले उसे फिर आज

उम्र भर का वो हमसफर बन गयी
चलो ताउम्र गुजार लें उस के साथ

अहले करम का वो निंशा बन गयी
चलो हम भी साथ निभा लें उस के साथ

उम्मीदों का वो हासिल बन गयी
चलो सख्त सच की तस्वीर बन गयी

धड़ धड़ाती हुई वो रेल बन गयी
चलो मौत का वो आखरी खेल बन गयी

जिंदगी अब गजल बन गयी
चलो गुनगुना लें उसे फिर आज

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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