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चलो आज जी लूँ मै


चलो आज जी लूँ मै

चलो आज जी लूँ मै
और कुछ लम्हा अपने नाम करूँ
बहुत कर लिया काम मैंने
अब मैं भी तो आराम करूँ
चलो आज जी लूँ मै
और कुछ लम्हा अपने नाम करूँ ………

रोज की भाग दौड़ में
सुबह शाम और उस रात की कोर में
चाँद तेरी चांदनी को छूकर
अपनी आँखों को कुछ देर तो मैं मूंद लूँ
बहुत कर लिया काम मैंने
अब मैं भी तो आराम करूँ
चलो आज जी लूँ मै
और कुछ लम्हा अपने नाम करूँ ………

उम्र गुजर गयी खींचतान में
अपने और अपनों के बस ही ख्याल में
रोज हो रहे मेरे सपनो की चिर फाड़ को
अब तो उन्हे मै अपने सकूंन को आकार दूँ
बहुत कर लिया काम मैंने
अब मैं भी तो आराम करूँ
चलो आज जी लूँ मै
और कुछ लम्हा अपने नाम करूँ ………

मैं नहीं कह पाता
दिल अकेले में बोल देता है
इस मोड़ में अक्सर ऐसा होता है
दुःख अपने को सुख अपनों को छोड़ देता है
बहुत कर लिया काम मैंने
अब मैं भी तो आराम करूँ
चलो आज जी लूँ मै
और कुछ लम्हा अपने नाम करूँ ………

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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