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एक ख्वाब छोड़ आया हूँ



एक ख्वाब छोड़ आया हूँ

एक ख्वाब छोड़ आया हूँ
किसी का प्यार छोड़ आया हूँ
दुखी मन से आज मै
मै अपना वो पहाड़ छोड़ आया हूँ

घरबार छोड़ आया हूँ
वो मेरा संसार छोड़ आया हूँ
जहाँ बसती है माँ पैरों में जन्नत
मै अपना वो जन्नत छोड़ आया हूँ

वो साथ छोड़ आया हूँ
वो दिल तोड़ आया हूँ
तंग आकार इस तंगी से
मै अपना वो गढ़वाल छोड़ आया हूँ

आज सब को चूमकर आया हूँ
आज अपने को भूल के आया हूँ
थोड़ी ख़ुशी के खातिर मै
मै अपने और अपनों से रूठ आया हूँ

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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