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हाथ रह गये खाली



हाथ रह गये खाली

हाथ रह गये खाली
बजा रहे बस वो ताली

कलम तक़दीर तुम
खाव्ब की तस्वीर तुम

सपने देखे वो टूटे
कोरे पन्ने दूर जा रूठे

लकीरों में ऐसा उलझा
रह गये बस वो ही बाकी

हाथ रह गये खाली
बजा रहे बस वो ताली

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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