वो थोड़ सा पानी
ये....जिंदगी क्या
उसकी बंदगी है क्या
सूखे गले को थोड़ा पानी
थोड़ी सी तेरी मेहरबानी
वो थोड़ सा पानी……२
गर्मी के हलाहल में
सूरज की इस तपन में
ढूंढे कहाँ हम मृग तृष्णा
बन जाऊं तुम हमारे कृष्णा
वो थोड़ सा पानी……२
अमृत वो असर कर दे
जीवन को हमारे सरल कर दे
हम बेजुबानों को थोड़ घर दे
सुस्ता लें इतना सफर दें
वो थोड़ सा पानी……२
ये....जिंदगी क्या
उसकी बंदगी है क्या
सूखे गले को थोड़ा पानी
थोड़ी सी तेरी मेहरबानी
वो थोड़ सा पानी……२
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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