तू फिर से कहानी
आ जा सुन ले
तू फिर से कहानी
ना कोई राजा
है ना कोई रानी
बस पत्थर है
वो पानी
साथ बहती वो जवानी
आ जा सुन ले
तू फिर से कहानी
उड़ा है आँचल
ना जाने किधर से
आँख भर आयी आज
ना जाने किधर से
करो ना इतनी मेहरबानी
ये है मेरी नादानी
आ जा सुन ले
तू फिर से कहानी
चाँद तारों से निकले
सुंदर नजारों से हम निकले
उन पहाड़ों से हम निकले
उन बहते धारों से निकले
भीड भाड़ से जा भटके
चार दिवारी में जा अटके
आ जा सुन ले
तू फिर से कहानी
होता है बस इतना
और होना है कितना
खोने पाने से पहले
अब सोना है कितना
चलो सो भी जाये हम
सुनकर एक नई कहानी
आ जा सुन ले
तू फिर से कहानी
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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