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बात दिल की कहूँ या मै यूँ ही चुप रहूँ


बात दिल की कहूँ या मै यूँ ही चुप रहूँ

कोई कहता है पागल कोई दीवाना मुझे
ऐसे ही गुजरा फ़साना बदला ठिकाना मेरा
इस जमाने का है ये दस्तूर पुराना यही
बात दिल की कहूँ या मै यूँ ही चुप रहूँ

पत्थर से जा कर अब जो टकराऊं
कैसे इन काँटों से अकेला लिपट जाऊं
इन फूलों की बरसात तो कभी हो यंहा
बात दिल की कहूँ या मै यूँ ही चुप रहूँ

हकीकत का चेहरा किसे अब दिखाऊं
इन अंधेर उजाले में कहीं गुम हो ना जाऊं
यूँ अकेले अकेले कंही मै सहम ना जाऊं
बात दिल की कहूँ या मै यूँ ही चुप रहूँ

संसार की हर शै का क्या यही है चलन
जुदाई का बस यंह पर हो रहा है मिलन
तड़पन ही तड़पन हैं बिछोह ही बिछोह
बात दिल की कहूँ या मै यूँ ही चुप रहूँ

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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