और कितने दिन ये रहेगा शबाब ?
और कितने दिन ये रहेगा शबाब
क्यों ना खा ले ना हम जी भरा के कबाब
फुर्सत नहीं है किसे भी अब यहाँ पल भर की
साँस जो रूठ गयी तब क्या करेंगे जनाब
पल पल कीमती है यंहा पर वो अब बिखरा पड़ा
काँटों पर ना चला तो कहाँ पे खिलेंगे गुलाब
ना समझ ही रहा मै वो भी ना समझा सका
प्रकृति ने जो हमे सिखाना और समझना चाहा
लौटेगा तू भी यंहा से बस दोनों खाली कर क्या हाथ
कुछ ना दिया इसे तू ने तुझ से वो वहां मांगेगा जवाब
और कितने दिन ये रहेगा शबाब.................?
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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