जैस चाहूँ इसे रंग दूँ मै
ये रंग है मेरे ,मेरी कल्पना के
जैस चाहूँ इसे रंग दूँ मै
अपनी कल्पना की उड़ान में
इस आकश में अपने रंग भर दूँ मै
इस दुनिया से गुम हो सारे ग़म
उसे खुशियों के रंग से रंग दूँ मै
किसको फिर यहं ना हो कोई ग़म
ऐसी रचना यहं पे रच दूँ मै
ये रंग है मेरे ,मेरी कल्पना के
जैस चाहूँ इसे रंग दूँ मै
दामन ना किसका यूँ खाली रहे
काटें बीन के उन्हें फूलों से भर दूँ मै
ले चलों उस हरित नदी को अपने संग
पहाड़ों में अपने अपनों को भर दूँ मै
अपनी कल्पना की उड़ान में
इस आकश में अपने रंग भर दूँ मै
ये रंग है मेरे ,मेरी कल्पना के
जैस चाहूँ इसे रंग दूँ मै
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
0 टिप्पणियाँ