कितने चेहरे है यंहा
कितने चेहरे है यंहा
कैसे उन्हें तुम ने छुपा रखा है
कितने चेहरे है यंहा
हैरान हूँ परेशान हूँ मै
हम से तो ना एक ही संभला है
कितने चेहरे है यंहा
कैसी लीपा-पोती की है
कैसे कैसे भेदों से वो उभरा है
कितने चेहरे है यंहा
पर्दे भीतर पर्दा है
राज ये कितना अब वो गहरा है
कितने चेहरे है यंहा
चल चलें अपने पथ पर
ये शहर ना मेरा ना तेरा है
कितने चेहरे है यंहा
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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