वो इंतजार अधूरा रह गया
किस का करती रही वो इंतजार
नींद भी अब थक के हो गयी उसकी बेज़ार
क्या सोच कर वो अब तक सो रही थी
ना जाने जिंदगी उसकी किस संग लड़ रही थी
इतना लंबा इंतजार क्यों अधूरा रह गया
कौन आया और उसे अपने साथ ले गया
महसूस तो किया होगा क्या उसने
वो इन्तजार शरीर से जब खत्म हुआ होगा
बस कामना है यही तू रहे कंही
४२ वर्ष की तपस्या तेरे साथ ही गयी
बालकृष्ण डी ध्यानी
बालकृष्ण डी ध्यानी
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