मेरे क़दमों ने कहा आज मुझे
चलते चलते
मेरे क़दमों ने कहा आज मुझे
छोड़ के तू मुझे अकेला अब
चला है तू आज किधर
कुछ नही पास तेरे ना है कुछ पास मेरे
चलते चलते
मेरे क़दमों ने कहा आज मुझे
चल लिया है तू बहुत दूर अब
आ थोड़ा तू सुस्त ले
बैठ पास मेरे जरा तू मुझ से बतिया ले
चलते चलते
मेरे क़दमों ने कहा आज मुझे
सब वहीँ पर है धरा मगर तू किधर चला
आँखें बंद कर अपनी थोड़ी देर और
अपने आप को तू अब समझ ले
चलते चलते
मेरे क़दमों ने कहा आज मुझे
बुला रहा है कोई तुझे मुझे सुन
उसकी वो धड़कनों की सदा
आ रही यहं तक चल देखें उसे पीछे मोड़
चलते चलते
मेरे क़दमों ने कहा आज मुझे
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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