और कितना वक्त चाहिये
और कितना
वक्त चाहिये आप को
और कितना वक्त चाहिये
मेरे पहाड़ के लिये
अपने उत्तराखंड के लिये
अलग हो गये थे
यू पी से हम एक सदी पहले
अब भी उस बीते समय से
हम उभरे और संभले कहाँ
और कितना वक्त चाहिये
विनाश और पलायन
बस अब यंहा पर बिखरा पड़ा है
प्रगति कौन से रस्ते मिलेगी
अब आके ज़रा तू मुझे बता
और कितना वक्त चाहिये
बस इंतजार की सड़कें
यंहा चारों तरफ फ़ैली है
कौन आयेगा चल यंहा इन पर
जब कोई भी ना रहेगा यंहा
और कितना वक्त चाहिये ..............
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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