बेगाना उड़ चला
उड़ चला उड़ चला
आज कहाँ पंछी आज कहाँ
छोड़ अपने पहाड़ों को
वो उड़ चला है कहाँ
बेगाना बेगाना कर के
कर के इस को वीराना यंहा
इस सुंदर जंहा को
अब उजाड़ कर
वो उड़ चला है कहाँ
सजाने सजाने
अब सजाने किस का जंहा
किस का जंहा
पराया कर अपने अपनों को
वो उड़ चला है कहाँ
छुपा रखा छुपा रखा है क्या
छुपा रखा है यंहा
इस तन मन के घेरे में
किस के यादों को दबा कर
वो उड़ चला है कहाँ
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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