रहनुमा नही बनना
रहनुमा नही बनना
मुझे किसी का राहनुमा नही बनना
इस शहंशाह ये फकीरी का चुला नहीं पहनना
रहनुमा नही बनना
बैठे हैं सब एक एक मिलकर
मुझे उनकी रहा पर नहीं चलना
जंहा खुदगर्जी ले चुकी हो पनाह
वहां मेरे वजूद का क़त्ल नहीं करना
रहनुमा नही बनना
कातिल हैं वो सब निगाहों भरे
दौलत से उन के देखो मीनारें खड़े
उनके हरम में नहीं मुझे सोना
मेरी राहत को मुझे यूँ ना खोना
रहनुमा नही बनना
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ