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क्यों हुई आँखें नम


क्यों हुई आँखें नम

क्यों हुई आँखें नम
चल उसे पूछे क्या है ग़म
क्यों गुम है ये हंसी
क्यों बिखरी पड़ी दूर ख़ुशी
क्या चाहती है ये जिंदगी
क्यों हुई आँखें नम
चल उसे पूछे क्या है ग़म

अपने ही घेरे से चल निकले हम
क्यों इस घेरे में ही निकले दम
कुछ सोचे नया कुछ तो होगा नया
इस पुराने संग ही क्यों उलझे हम
क्यों हुई आँखें नम
चल उसे पूछे क्या है ग़म

सब कुछ बंद नहीं होता
वो खुला होता है पर खुला नहीं होता
ऐसी आँखें अब खोजें हम
उस बंद दरवाजे को चल खुले हम
क्यों हुई आँखें नम
चल उसे पूछे क्या है ग़म

कैसा अँधेरा ये अँधेरा छाया है
वो उजाला क्यों नजर ना आया है
मन दीपक क्यों तू ने ना जलाया है
व्यर्थ ही तू ने ऐ आँसूं गंवाया है
क्यों हुई आँखें नम
चल उसे पूछे क्या है ग़म

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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