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मेरी कबिता


मेरी कबिता

मेरी कबिता हो हो हो मेरी कबिता
मेरी कबिता में दगडी
आच तू बचै दे
सारू गढ़ देशा की दशा भुलू
आच तू मि दगडी लगे दे
मेरी कबिता हो हो हो मेरी कबिता

आंख्युं थे रीत कैगे धार
कख पौड़ी बज्र कख चमकी चाल
बादल फटी हो हो हो बादल फटी
रौडी गे मेरु पहाड़ कू धार
जा चली जा रे....... बस्ग्याल

मेरी कबिता हो हो हो मेरी कबिता

ह्युंद की आनु च बेल
कख रख्युं हुलु बोई मिल मिटटी कु तेल
लक्डो सुख्यां लगाणु च मिल अब भी ढेर
सिन्कोली ऐजा ऐजा घसेरी तू ऐजा घार
रुमुक पड्नु देख तै डंडा पार

मेरी कबिता हो हो हो मेरी कबिता

घाम कु सपुनिया ऊ देख्णु च
मेरु जिकोड किले की हो आच
स्वामी मेर मेसे बोली गययां जी
ऐ बरसी ऐजालु छुटी मा घार
लग जा तू भी ऊं बोलों का सार

मेरी कबिता हो हो हो मेरी कबिता

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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