नि लगे स्की जिलेत जिंदगी कू
नि लगे स्की जिलेत जिंदगी कू
मेर कपि क्वरी राई … २
नि लगे स्की जिलेत जिंदगी कू
ऐई स्ब नेर-गेर मेर अग्ने-पिच्ने
वै थे गैरु संप्लु से मि खैण नि पाई
नि लगे स्की जिलेत जिंदगी कू
कच्ची कुटी फूटी बिगड़ी रै सदनी
मेरो ज्ञान की गाड़ी तैल खोल ई उबी राई
नि लगे स्की जिलेत जिंदगी कू
खोली पोली कैकि देखि एक एक सबुन
परी तरी कैथे भी मि समज ना ऐई
नि लगे स्की जिलेत जिंदगी कू
बोगोदी रुं ये उमाल कलम कू
मेरी हौज का पाणी बिसी- बीसी राई
नि लगे स्की जिलेत जिंदगी कू
नि लगे स्की जिलेत जिंदगी कू............
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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