सोंगो मेरो
सोंगो मेरो दगडी मेर
कुई चाल चल्दु जाणू रे
छुईं कूच भी निच पर
ऊ छुईं किलै खिंचदू जाणू रे
बेळ गेढ़ गेढ़नी मेरो आस की
उमरी घट्दी जाणि रे
छे सुप्निया अब भी मेर जवान
बल जी उमरी सैली जाणि रे
सोंगो मेरो दगडी मेर
कुई चाल चल्दु जाणू रे
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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