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जब में जनि तुम थे इन से परित व्है जालि




जब में जनि तुम थे इन से परित व्है जालि

जब में जनि तुम थे इन से परित व्है जालि
मेर ढुंगों गारों कि और्री शोभा बढ़ी जालि

बौल्या बनि की तुम इनि यख फिरदी रौंला
रोलो खोलों तब तुम दगडी बी भेंट व्है जालि

बौरांसा खिल्दी यख फ्योंली मिळेल हस्दी
काफल किन्गोड़ा अखरोट सेब की ये बस्ती

इन अन्जाडू डंडा कांडों मा कण ऐ दिस आला
मेरा पहाड़ मा तुम आला त रंगमत ऐ जलि

जब में जनि तुम थे इन से परित व्है जालि
मेर ढुंगों गारों कि और्री शोभा बढ़ी जालि

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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