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मेरी बोली मेरो मुख


मेरी बोली मेरो मुख

मेरी बोली मेरो मुख
किले हुली तू देखणी जख तख
कैर सुरुवात तो अपरी से ही
देख पल मा बदल जालो ये जग

भांड्या तू इन भाना ना लगा
सकेसरी छोड़ छुछा ऐथे तू फुंड चूला
आलस से देदे अपरी अब तू तिलंजाली
तेर गली छे छुछा बस ऐ पहाड़ वाली

अपरू नि ही इन सब करयूं धर्युं
कैल नि अणा यख ये कैर उकेरनु कुन
तू भी अब इना ना ऐकि कथा लगा
झठ ये कैर उकेर पट साफ़ कैदे जरा

मेरी बोली मेरो मुख
किले हुली तू देखणी जख तख
कैर सुरुवात तो अपरी से ही
देख पल मा बदल जालो ये जग

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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