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खुद जबै लगैली मिथे


खुद जबै लगैली मिथे

खुद जबै लगैली मिथे
तेरु जब मेरु ये पहाड़ा …… २
आंखि मि रुवेळी तब
जबै लगैली बडुळि ये संकी घारा
खुद जबै लगैली मिथे …… २

छम छम बरसण लग्यां
ते भेँट हुन कूंन ऊ तरसण लग्यां
यखुली ये रेगे सदनी कू जग्वाल
काद्गा ऐगे चलगै मेरा देशा मा बग्वाल
खुद जबै लगैली मिथे …… २

घुघूती का घोल बोल
ढोल दामू और्री वो हुडकी बोल
थड्या गीतों का वो गूंज
ब्यो बरती मा मासु बाजों का जोर-सोर
खुद जबै लगैली मिथे …… २

देबतों का मेरु थान भगवती कू मंडाण
मेर जल्मभूमि तू मेरु प्राण
ते बिगर देक ले तू आकि मेरु हाल
ब्वे बिगर जनि बछड़ बेचार
खुद जबै लगैली मिथे …… २

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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