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शिक्षिका दमयंती रावत मेर बौ


शिक्षिका दमयंती रावत मेर बौ

१७ साल दुर्गम में सेवा देने के बाद मिला बेटी की तरह विदाई जैसा सम्मान --एक नहीं,दो नहीं, तीन भी नहीं पूरे १७ साल दुर्गम में सेवा देने के बाद जनपद चमोली के दशोली ब्लाक के प्राथमिक स्कूल कम्यार में कार्यरत शिक्षिका दमयन्ती रावत को ग्रामीणों ने उनका तबादला दूसरी जगह होने पर बेटी की तरह विदा किया और भावभीनी विदाई दी, इस अवसर पर क्या बच्चे,क्या बुजुर्ग हर किसी की आँखों में बहती आसुंओ की धारा बंया कर रही थी कि शिक्षिका का जाना उनके लिए कितना दुखदाई था, उनके जाने के बाद आज भी गांव के बच्चे उदास है, ग्रामीण शिक्षिका को भूला नहीं पा रहें है,ऐसा लग रहा है की उनके जाने के बाद गांव की रौनक ही चली गई है, बीते 17 सालों से यहाँ कार्यरत शिक्षिका दमयंती रावत उन बिरले लोगों में से है जिन्हें ऐसा अभूतपूर्व सम्मान मिला, गौरतलब है की दमयंती रावत को उत्तराखंड सरकार द्वारा बेहतर शिक्षण कार्य हेतु शैलेश मटियानी पुरूस्कार भी मिल चूका है, जहा एक और लोग दुर्गम में जाने से कतरा जाते है वही एक महिला होते हुए दमयंती ने पूरे १७ साल गुजार दिए वो भी गांव में ही अपना बसेरा बनाकर जो अपने आप में एक मिशाल है,--ऐसे शिक्षिकायें सामाज का आईना होतीं है,साथ ही दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत --हमारी और से दमयंती रावत को प्रणाम - मेर कबिता आप थे अर्पण बौ

शिक्षिका दमयंती रावत मेर बौ

ना ना इन नि रुन्दा बौ
बल बगता की फूटगे पौ

१७ बरसा की तेरी खैरी बौ
अब जा सारू सैरी की बौ

बिदाई अब तेर हैगे बौ
भौल भ्तेक अब तेथे क्ख्क देखन बौ

बिद्या बांटी माया बांटी बौ
ये आँखि मेर अब किलै रूनी बौ

शिक्षिका दमयंती रावत मेर बौ
गौं तिबारी तेरा बाण रूवेगे बौ

मेरु ते थे शत शत नमन बौ
तू छे अखेर असल मेर पहाड़े की बौ

ना ना इन नि रुन्दा बौ
बल बगता की फूटगे पौ ......

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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